मोरबी पुल हादसा का जिम्मेवार कौन? भ्रष्टाचार या गुजरात चुनाव?
दोस्तों मोरबी ब्रिज हादसा को तो आप जानते ही होंगे। इस हादसे में 150 लोगों से उपर की जानें गई। तो इस हादसे का जिम्मेवार कौन है? भ्रष्टाचार या गुजरात में चुनाव?
तो आइए समझते हैं
दरअसल मोरबी में यह पुल पर्यटक स्थलों में से एक माना जाता है। कई सालों तक इस पुल का रख - रखाव स्थानीय नगर पालिका करती थी लेकिन फंड की कमी के कारण इस पुल को बंद कर दिया गया था।
नगर पालिका ने सरकारी टेंडर के जरिए और Oreva कंपनी को अगले 15 वर्षों तक इस पुल की रख - रखाव की जिम्मेवारी दी थी।
यहां आपको बता देते हैं कि यह वही ओरेवा कंपनी जो एलईडी लाइट बल्ब बनाती है।
अब यहां बारीकी से समझिए कि अगर हमारा मोबाइल का चार्जिंग पिन खराब है और उसको हम रिपेयर करवाने के लिए घड़ी रिपेयर दुकान में जाते है । और दुकानदार हमारा फोन का एलसीडी टच खराब कर देता है। तो गलती किसकी है मेरी या घड़ी रीपैर करने वाले मेकेनिक् की। दोस्तों दरअसल यहाँ गलती मेरी है जो हमने मोबाइल रिपेयरिंग शॉप पर जाने छोड़ कर घड़ी रिपेयरिंग शॉप पर चला गया।
इसके बाद ओरेवा कंपनी ने जिंदल ग्रुप को आठ करोड़ रुपये देकर इस पुल का मरम्मत करवाया। करीब 7 महीने पुल बंद रहने के बाद इसे खोला गया।
पुल पर लोगों के प्रवेश के लिए टिकट का व्यवस्था रखा गया। 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए टिकट का दाम ₹17 और 18 साल से कम उम्र वाले किशोरों के लिए टिकट का दाम ₹12 रखा गया। अब से यहां सोचने की बात है कि कंपनी को पता होगा कि पुल कितने लोगो का वजन सह सकता हैं।
लोग फ्री मे तो पुल पर नहीं गए होंगे जितने लोग पुल पर गए सभी टिकट ले के गए। तो कंपनी द्वारा ज्यादा टिकट क्यो बेचा गया। इससे स्पष्ट होता है कि कंपनी पैसे के लालच में जरूरत से ज्यादा टिकट बेच दिया। इसका जिम्मेवारी कहीं ना कहीं पुलिस प्रशासन पर भी जाती है क्योंकि मोरबी पर्यटक स्थल था और इस जगह पर भीड़ को नियंत्रण करना पुलिस प्रशासन का काम था। अब इस पर ज्यादा चर्चा ना करते हुए निष्कर्ष पर आते हैं। मेरे समझ से मोरबी पुल हादसे मे मरने वालो की मृत्यु नही हुई अपितु हत्या हुई है। और हत्यारा भ्रष्टाचार नगर पालिका, ओरवा Comopny और जिंदल compony है।
इस घटना का आपके दोसी आपके नजर मे कौन है? Comment करके जरूर बताएँ।



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